Kalu Ram Meena पुरुषोत्तम जी आपके विचार से सहमत हूँ....मैंने एक बार यहाँ मनुवाद को चुनौती देता अपना एक गीत डाला था जो कई मीणाओं को लगा कि यह बेबुनियाद है और उसका जवाब देने से कतराते रहे तो कुछ ऐसी पोस्ट को ही फालतू मानने लगे-
मीन भगवान से कोने नातो आपणो कांई भी
फेरु भी होवे तो बता दे नातो कांई को लागे
नातो कांई को लागे
मीन तो विष्णु को अवतार भायला
विष्णु तो च आर्य हम चा आदिवासी
फेरु भी होवे तो बता दे नातो कांई को लागे
नातो कांई को लागे
आर्य बदमाश यह तो बाहर सू आया
हम तो न्याका वासी आर्य बाहर का वासी
फेरु भी होवे तो बता दे नातो कांई को लागे
नातो रे कांई को रे लागे
नातो कांई को लागे
आदिवासी की जय
नातो कांई को लागे
नातो तो कांई को लागे.
1 अरे दौड़ दौड़ डगळा में
चराई गाय तो मैंने
अरे म्हारा बाबल
काँई करी र या तैने
गाय पंडत ने दे दी
गाय पंडत ने दे दी.
2.अरी म्हाने मिलती कोरी रोटी
बामण न चुपड़ी-२
सासू र आप री ठह्-र्या मीणा
यहाँ काँई बामण का को काम
यहाँ काँई बामण का को काम
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